13 जून 2021 को प्रतापगढ़ के टीवी पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव की सड़क हादसे मे मौत हो गयी जबकि उनकी पत्नी ने इसे निर्मम हत्या कहा है घटना से पहले उनके द्वारा चलाई गयी खबर से बौखलाए शराब माफियाओं ने उन्हे जान से मारने की धमकी भी दी थी और अपनी सुरक्षा के लिए सुलभ श्रीवास्तव ने पुलिस अधिकारियों को प्रार्थना पत्र भी दिया था
रिपो० ललित चौधरी
बुलन्दशहर : बुधवार को शिकारपुर तहसील पत्रकार एसोसिएशन ने शुलभ श्रीवास्तव हत्याकांड को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम एसडीएम वेद प्रिय आर्य को सौपा ज्ञापन वही उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में टीवी पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव की दुर्घटना में मौत नहीं बल्कि यह निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता पर हमला है बता दे कि 13 जून 2021 को प्रतापगढ़ के टीवी पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव की सड़क हादसे मे मौत हो गयी जबकि उनकी पत्नी ने इसे निर्मम हत्या कहा है घटना से पहले उनके द्वारा चलाई गयी खबर से बौखलाए शराब माफियाओं ने उन्हे जान से मारने की धमकी भी दी थी और अपनी सुरक्षा के लिए सुलभ श्रीवास्तव ने पुलिस अधिकारियों को प्रार्थना पत्र भी दिया था अंततः सुलभ श्रीवास्तव के साथ यह घटना घटित हो गई जर्नलिस्ट काउंसिल आफ इंड़िया ने सुलभ श्रीवास्तव की मौत की घोर भर्त्सना करते हुए उनके परिजनों को 50 लाख रूपये की आर्थिक सहायता के साथ घटना की निष्पक्ष जांच की मांग प्रदेश के मुखिया माननीय योगी आदित्यनाथ से की है इसी के साथ संगठन ने अविलंब अपराधियों को गिरफ्तार कर सख्त कार्रवाई की मांग भी की है
तहसील पत्रकार एसोसिएशन शिकारपुर के मीडिया कर्मियों में फरीद अंसारी, डीके निगम व् सतीश ने कहा कि आज प्रदेश में पत्रकारों के साथ तमाम उत्पीड़न की घटनाएं हो रही हैं यहां तक की कई पत्रकार साथियों की अपराधियों ने लीला समाप्त कर दी है पत्रकारों की सुरक्षा के लिए देश व प्रदेश में कोई कानून नहीं है संगठन देश में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए देश के प्रधानमंत्री व राज्य के मुख्यमंत्रियों से आगे कदम बढ़ाते हुए पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की पुन: मांग करता है जिससे देश के पत्रकार अपने आपको सुरक्षित महसूस कर सके और निष्पक्ष और निर्भीक होकर पत्रकारिता कर सके साथ ही संगठन ने कहा कि पत्रकार ने एक दिन पूर्व ही अपने साथ अनहोनी होने की आशंका से जनपद के पुलिस अधिकारियों को पत्र के माध्यम से अवगत भी कराया था यदि समय रहते पुलिस अधिकारियों ने पत्र का संज्ञान ले लिया होता तो शायद पत्रकार की जान बच जाती आज पत्रकार को सच का सामना कराने पर धमकियां मिलना शुरू हो जाती है विरोध करने पर पत्रकार पर ही आरोप लगने शुरू हो जाते है परिणाम स्वरूप दबंगो के हौसले और बुलंद हो जाते है यदि पत्रकार ही सुरक्षित नहीं रहेगे तो लोकतंत्र का यह चौथा स्तंभ कैसे निष्पक्ष और निर्भीक हो कर अपने काम को अंजाम दे पायेगा इस अवसर पर पत्रकार डीके निगम, फरीद अंसारी, अशोक पाठक, बबली अंजान, शिव कुमार, सतीश कुमार, मुकेश आर्य, मुमताज़ अली, सलमान हैदर, सुभाष सिंह, कालू भईया, इरशाद मलिक, ज़ूरगाम हैदर, पंकज शर्मा, सोहेल सूर्या, मोनू कुमार, तेजवीर शर्मा, आदि लोग उपस्थित रहे ।