नीलांचल एक्सप्रेस हादसा : मदद के नाम पर रेलवे ने मृतक के साथ किया भद्दा मजाक, 15 हजार रुपये की आर्थिक मदद पर भड़के परिजन

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दिल्ली से आ रही नीलांचल एक्सप्रेस में शुक्रवार को दिल्ली-हावड़ा रेलवे ट्रैक पर सोमना और डांबर रेलवे स्टेशन के बीच लोहे की सरिया घुस जाने से जनरल कोच में सवार सुल्तानपुर के हरिकेश दुबे की हुई मौत को लेकर परिजनों में रेलवे की लापरवाही को लेकर खासा रोष है। उन्हें शनिवार को पोस्टमार्टम के बाद रेलवे अफसरों ने अनुग्रह राशि के रूप में 15 हजार रुपये देकर कागज पर हस्ताक्षर करने को कहा तो पिता संतराम दुबे, भाई राकेश दुबे आदि तमाम परिजन और रिश्तेदार भड़क उठे। उन्होंने कहा कि रेलवे की घोर लापरवाही से हरिकेश की मौत हुई है। इसलिए सहायता राशि को नहीं लेंगे। गुस्साए परिजन एंबुलेंस में शव को लेकर रेलवे स्टेशन पर आ गए। परिजनों का आरोप था कि स्थानीय रेल प्रशासन ने रात में ही शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया। जबकि वे आग्रह करते रहे। पूरी रात परिजन इधर से उधर भटकते रहे। तब जाकर सुबह पोस्टमार्टम कराया गया है। उन्होंने कहा कि अफसरों का यह रवैया ठीक नहीं है। रेलवे अफसरों ने जैसे- तैसे उन्हें समझाया एंबुलेंस समेत सुल्तानपुर के लिए रवाना कराया। उधर, रेलवे अफसरों की संयुक्त टीम ने अलीगढ़ पहुंचकर जांच -पड़ताल की और जिम्मेदारी तय की है। प्रथमदृष्टया पीडब्ल्यूआई विभाग की लापरवाही मानी जा रही है। हालांकि रेलवे अफसर इस मामले में पूरी तरह से अभी चुप्पी साधे हुए हैं और कुछ भी बताने से इंकार कर रहे हैं।

दिल्ली के आनंद विहार स्टेशन से लखनऊ जा रही नीलांचल एक्सप्रेस ट्रेन के जनरल कोच के दूसरे केबिन की सीट नं.15 पर 34 वर्षीय हरिकेश कुमार दुबे पुत्र संतराम दुबे, निवासी गोपीनाथपुर, थाना चांदा, जनपद सुल्तानपुर यात्रा कर रहे थे। जैसे ही ट्रेन डांबर-सोमना रेलवे स्टेशन के मध्य पहुंची तभी ट्रेन के कोच के शीशे को तोड़ते हुए सीट पर बैठे यात्री हरिकेश दुबे की गर्दन में घुस जाने के बाद सिर के आर-पार हो गई। हादसे में यात्री की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि हादसे में यात्री के बराबर वाली सीट पर बैठी दूसरी महिला यात्री भी बाल-बाल बच गई। अचानक हुई इस घटना से ट्रेन में यात्रियों की चीख-पुकार शुरू हो गई। ट्रेन के अलीगढ़ रेलवे स्टेशन पर पहुंचने पर यात्री के शव को उतारा गया।

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