अलीगढ़ | जोरदार हंगामे, नारेबाजी के बीच अलीगढ़ जंक्शन पर पटरी पर पहुंचे किसान नेता

 

डेस्क समाचार दर्पण लाइव

लखीमपुर खीरी कांड के विरोध में किसान संगठनों द्वारा सोमवार को किए रेल रोको आंदोलन का जिले में अधिक प्रभाव नहीं रहा। पुलिस की मुस्तैदी पर किसान संगठन ट्रेन नहीं रोक पाए। जोरदार हंगामे-नारेबाजी तक ही आंदोलन सिमट गया। अलीगढ़ जंक्शन पर भारतीय किसान यूनियन (स्वराज) के जिलाध्यक्ष दो कार्यकर्ताओं के साथ सुरक्षा तंत्र को चकमा देकर पटरी पर पहुंचने में सफल हो गए। मगर, उनको तत्काल ही जीआरपी-आरपीएफ ने हटाकर बाहर कर दिया। इधर, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के जिलाध्यक्ष ओपी कमांडो की पिसावा के प्रेमपुर गांव में पुलिस द्वारा नजरबंदी किए जाने से नाराज अन्य संगठनों के कार्यकर्ता वहां पहुंच गए। उन्होंने हंगामा-नारेबाजी की। इस पर पुलिस ने 36 किसान नेताओं को हिरासत में लेकर खैर थाने की सोफा चौकी पर शाम चार बजे तक रखा। किसान नेता विधिक कार्रवाई कर गिरफ्तारी की मांग करते रहे। इसके चलते पूर्व प्रस्तावित सोमना स्टेशन पर रेल रोकने के लिए किसान नेता नहीं जुट पाए। पुलिस-प्रशासन, आरपीएफ, जीआरपी की कसरत काम आई। सुबह दस बजे शुरू हुआ प्रदर्शन शाम चार बजे खत्म हुआ।

किसान संगठनों की ओर से संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले जिले के छह स्टेशनों पर रेल रोकने का प्लान तैयार किया गया था। इसको लेकर सभी स्टेशनों की सुरक्षा व्यवस्था प्रशासन, पुलिस की ओर से बढ़ाई गई थी। अलीगढ़ जंक्शन पर भारतीय किसान यूनियन स्वराज के 15 कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष जितेंद्र शर्मा के नेतृत्व में पहुंचे। जोरदार नारेबाजी की। मगर, सुरक्षा तंत्र ने इनको स्टेशन परिसर में नहीं जाने दिया। इस दौरान जिलाध्यक्ष अपने दो साथियों के साथ सुरक्षा तंत्र को चकमा देकर प्लेटफार्म नंबर दो की पटरी पर पहुंचने में सफल हो गए। यहां पहुंच पटरी पर बैठ गए और नारेबाजी करने लगे। मौके पर दौड़े जीआरपी, आरपीएफ कर्मियों ने तत्काल उनको पटरियों ने हटाते हुए बाहर कर दिया। इसके बाद जितेंद्र शर्मा ने एसीएम द्वितीय अंजुम बी को ज्ञापन सौंपा। इधर, पिसावा के प्रेमपुर में भारतीय किसान यूनियन टिकैत के जिलाध्यक्ष ओपी कमांडो की नजरबंदी को लेकर किसान संगठन के पदाधिकारियों और पुलिस के बीच नोकझोंक होती रही। बाद में इनको खैर की सोफा चौकी पर हिरासत में ले लिया गया। शाम चार बजे इन सभी को छोड़ दिया गया।

देर रात नजरबंदी की भनक लगते ही घरों से गायब हुए किसान नेता

किसान संगठनों के पदाधिकारियों को पुलिस-प्रशासन ने रविवार रात को ही नजरबंद करने की कार्रवाई शुरू कर दी। इसकी भनक लगने पर पदाधिकारी अपने घरों से गायब हो गए। भाकियू टिकैत के जिलाध्यक्ष ओपी कमांडो निवासी रंजीतगढ़ी, खैर अपने घर से गांव प्रेमपुर में एक किसान ने खेत पर बने घर पर जाकर ठहर गए। इसकी पुलिस को भनक लगी तो उनको सुबह 6 बजे ही वहां पहुंचकर नजरबंद कर लिया। इसकी सूचना होने पर सोमना स्टेशन पर रेल रोकने जा रहे संयुक्त किसान मोर्चा संयोजक शशिकांत, क्रांतिकारी किसान यूनियन के मंडल प्रभारी सुरेश चन्द्र गांधी, किसान सभा जिला उपाध्यक्ष अपने साथियों संग प्रेमपुर में पहुंच गए। वहां उन्होंने ओपी कमांडो को आंदोलन में प्रतिभाग करने देने के लिए पुलिस अधिकारियों से वार्ता की। मगर, पुलिस ने उनकी एक न चलने दी। इस पर यह सभी प्रेमपुर में धरने पर बैठ गए। दोपहर दो बजे हंगामा बढऩे पर पुलिस इनको खैर थाने की सोफा नहर चौकी पर ले गई। वहां सभी को हिरासत में शाम चार बजे तक रखा गया। इस दौरान किसान नेताओं नो विधिक कार्रवाई व गिरफ्तारी की मांग की। इस पर पुलिस ने उनको टाल दिया।

कंट्रोल रूम से ली गई पल-पल की अपडेट

किसान आंदोलन को देखते हुए प्रयागराज कंट्रोल रूम से अलीगढ़ के संबंध में पल-पल की जानकारी ली गई। आरपीएफ और जीआरपी की ओर से रेलवे कंट्रोल रूम को इनपुट जारी किया गया। आरपीएफ पोस्ट कमांडर चमन सिंह तोमर ने बताया कि किसानों को ट्रेन रोकने में सफल नहीं होने दिया गया। जीआरपी इंस्पेक्टर अरविंद कुमार भारद्वाज ने बताया कि स्टेशनों पर भारी सुरक्षा इंतजाम किए गए थे। किसी भी प्रकार से कोई हानि नहीं हुई है।

किसान संगठनों के पदाधिकारियों को पुलिस ने नजरबंद कर दिया। रेल तो नहीं रोक सके। मगर, इसे सरकार हमारी कमजोरी न समझे।

- शशीकांत, संयोजक संयुक्त किसान मोर्चा

अलीगढ़ जंक्शन की पटरी पर पहुंच नारेबाजी करने में सफल हुए। पुलिस-प्रशासन के चक्र को तोड़ यह काम करना ही सफलता है। आंदोलन में किसी भी आम आदमी को परेशानी नहीं होने दी।

- जितेंद्र शर्मा, जिलाध्यक्ष भाकियू स्वराज

पुलिस-प्रशासन ने पिसावा के प्रेमपुर गांव में पहुंचकर नजरबंद कर लिया था। इसका अन्य संगठनों के पदाधिकारियों ने यहां पहुंचकर विरोध किया। पुलिस से विधिक कार्रवाई कर गिरफ्तार करने की मांग की। मगर, उन्होंने ऐसा नहीं किया।

- ओपी कमांडो, जिलाध्यक्ष भाकियू टिकैत

कानून व्यवस्था के साथ किसी भी प्रकार का खिलवाड़ नहीं होने दिया गया। शांतिपूर्ण तरीके से किसानों का आंदोलन निपट गया। आम जनता को कहीं कोई भी परेशानी नहीं हुई

-सेल्वा कुमारी जे, जिलाधिकारी

किसी भी किसान नेता के खिलाफ कोई विधिक कार्रवाई नहीं की गई है। शांतिपूर्ण तरीके से सुरक्षाबलों ने पूरे आंदोलन का निपटारा कर दिया। कुछ किसान नेताओं को नजरबंद किया गया था। यह प्लानिंग काम आई।

- कलानिधि नैथानी, एसएसपी

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