यूपी पुलिस कस्टडी में हुईं सबसे ज्यादा मौतें:पूछताछ के लिए थाने ले गए; फिर मौत की खबर मिली, किसी ने 2 फीट ऊंची टोटी से फांसी लगा ली

 

निखिल शर्मा

कानपुर देहात के 11 पुलिसवालों को निलंबित कर दिया गया है। बीती 12 दिसंबर की रात पुलिस बर्बरता के शिकार हुए सरैंया लालपुर के व्यापारी बलवंत सिंह की मौत हुई थी। तब बलवंत की पत्नी ने कहा था, 'पुलिस ने मेरे पति को बेरहमी से पीटा। जैसे तड़प-तड़प कर मेरे पति की मौत हुई है, वैसी ही सजा पीटने वालों को मिलनी चाहिए। हमें कुछ नहीं चाहिए बस खून के बदले खून चाहिए।'

पुलिस की कस्टडी में बलवंत की मौत का मामला इकलौता नहीं है। देश में हिरासत में हुई मौत के मामले यूपी में सबसे ज्यादा हैं। जुलाई 2022 में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया कि साल 2021-22 में हिरासत में कुल 501 मौतें अकेले यूपी में हुईं, जो देश में कस्टोडियल डेथ (2544) का एक 1/5 हिस्सा है। जबकि इससे पहले यानी 2020-21 में हिरासत में मौत के 451 मामले दर्ज किए गए थे।


  • यहां हम कानपुर देहात जैसी कुछ घटनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनमें पुलिस की सबसे ज्यादा किरकिरी हुई…

घटना 1: लूट के मामले में पूछताछ के लिए पुलिस ले गई, देर रात पता चला- बलवंत नहीं रहा

कानपुर देहात के सर्राफ व्यापारी चंद्रभान सिंह उर्फ राजू से 6 दिसंबर को 2 लाख कैश और जेवरात की लूट हुई। उन्होंने कानपुर के शिवली थाने में FIR दर्ज कराई। 4-5 लड़कों पर लूट का आरोप लगाया। पूछताछ के दौरान शिवली पुलिस ने राजू के पड़ोस में रहने वाले उनके भतीजे बलवंत सिंह को शक में 12 दिसंबर की शाम उठा लिया। इसके बाद रात में परिजनों को सूचना मिली की बलवंत की मौत हो गई।

परिजनों का आरोप: 12 दिसंबर की शाम 4 से 5 बजे के बीच बलवंत घर लौट रहा था। तभी रनिया थाने की पुलिस और एसआजी टीम ने उसे हिरासत में ले लिया। मामले की जानकारी हुई तो भाई और चाचा रनिया थाने पहुंचे। भाई ने बताया थाने में पुलिसकर्मी बलवंत की पिटाई कर रहे थे। पुलिस वालों ने बलवंत को पीट-पीटकर मार डाला।

पुलिस की थियरी: पूछताछ के लिए बलवंत को थाने लाए थे। वहां उसकी तबीयत खराब हुई। उसके सीने में बहुत दर्द हुआ तो अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां उसकी मौत हो गई।

थियरी पर सवाल: तबीयत खराब हुई, तो शरीर पर चोट के निशान कहां से आए?

​​​​​​घटना 2: थाने की दो फीट ऊंची टोटी से फांसी लगाकर अल्ताफ की मौत

2 फीट ऊंची टोटी जिससे लटककर अल्ताफ ने जान दे दी।

कासगंज में 8 नवम्बर 2021 को 21 साल का अल्ताफ एक मकान में टाइल लगाने का काम कर रहा था। वहां से एक लड़की लापता हो गई। लड़की के परिवार वालों ने आरोप अल्ताफ पर लगाया। पुलिस पूछताछ के लिए उसे थाने ले गई। 9 नवम्बर की शाम खबर आई। अल्ताफ नहीं रहा।

परिवार का आरोप: अल्ताफ के पिता ने कहा ‘पुलिस उसे शक के आधार पर थाने ले गई। वहां पुलिस वालों ने उसे फांसी लगा दी’।

पुलिस की थियरी: अल्ताफ वाशरूम गया। अपनी हुडी में लगी डोरी निकाली। 2 फीट ऊंची टोटी में बांधकर फांसी लगा ली।

थियरी पर सवालः 2 फीट ऊंची टोटी से 5 फुट 6 इंच लम्बा अल्ताफ फांसी कैसे लगा सकता है?

घटना 3: लॉकडाउन में 1 घंटे बाद तक सब्जी बेच रहा था, पुलिस ले गई, फिर घर नहीं लौट सका

अस्पताल में ली गई मृतक फैजल की फोटो।

21 मई 2021, कोरोना पीक पर था। कई पाबंदियां थीं। 3 बजे के बाद सामान बेच नहीं सकते थे। 18 साल का फैजल 4 बजे बांगरमऊ के एक लोकल मार्केट में सब्जी बेच रहा था। उसी दिन शाम को उसकी मौत हो गई।

परिवार का आरोप: उसे 3 बजे के बाद सब्जी बेचते देख 2 पुलिसवाले बाइक पर बैठा कर थाने ले गए। वहां उसे इतना मारा कि उसकी हालत और बिगड़ गई। अस्पताल में भर्ती कराया। वहां मौत हो गई।

पुलिस की थियरी: फैजल को थाने लाया गया। उसकी तबीयत बिगड़ी। पुलिसवाले अस्पताल ले गए। वहां इलाज के दौरान उसकी मौत गई।

थियरी पर सवालः परिवार के हिसाब से फैजल एकदम स्वस्थ था। सब्जी बेचने का काम कर रहा था। क्या पुलिस को देखते ही उसकी हालत इतनी खराब हो गई कि मौत हो गई? घटना की CCTV फुटेज भी पुलिस नहीं दे पाई।

घटना 4: लॉकअप गेट पर शर्ट से फांसी लगाने से मौत

फोटो में हमीरपुर की हवालात के साथ मृतक संजय।

28 जुलाई 2021, हमीरपुर में लड़की भगाने का केस था। पुलिस पूछताछ के लिए 22 साल के संजय को पकड़ लाई। बैरक में बंद कर दिया। रात 1 बजे संजय की मौत हो गई।

परिवार का आरोप: परिवार का आरोप है कि संजय की मौत में पुलिस का हाथ है।

पुलिस की थियरी: बाथरूम के बहाने हवालात से संजय बाहर आया। अपनी शर्ट निकालकर गले में बांधा फिर गेट पर चढ़ा और गेट से लटक कर फांसी लगा ली। पुलिस ने युवक का शव रातों-रात थाने से निकाल कर पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचा दिया। हवालात का कैमरा भी गड़बड़ था, इसलिए वीडियो नहीं दिखा सके। सामने ऑफिस था। वहां कैमरा चेक किया गया। वो भी खराब निकला।

थियरी पर सवालः सवाल 1: हवालात के बाहर का और सामने ऑफिस का CCTV घटना के बाद एक साथ ही कैसे खराब हो गया? सवाल 2: जिस वक्त संजय फांसी लगा रहा था तब नाईट ऑफिसर्स, गार्ड सब थे पर किसी ने उसे रोका नहीं? सवाल 3: कोतवाल ऋषिदेव ने बताया घटना रात 1 बजे हुई और सीओ रवि प्रकाश ने कहा घटना सुबह 4 बजे हुई है। फांसी के दो अलग टाइम कैसे?

घटना 5: रात 1 बजे पुलिस बिजनेसमैन को थाने लाई, हालत बिगड़ी और मौत

फोटो में मृतक सत्य प्रकाश व अमेठी की एसपी ख्याति गर्ग।

5 अक्टूबर 2019 को पीपरपुर थाना क्षेत्र के परसोइया गांव के पास बाइक सवार बदमाशों ने कार सवार बैंक कर्मियों पर फायरिंग कर 26 लाख रुपए लूट लिए। घटना के खुलासे में लगी पुलिस और एसओजी टीम रात 1 बजे, 45 साल के बिजनेसमैन सत्य प्रकाश शुक्ला के घर पहुंची। लूट का पैसा बरामद करने के लिए घर में कई जगहों पर खुदाई शुरू कर दी। पैसा जब पुलिस को नहीं मिला तो पुलिस सत्य प्रकाश शुक्ला और उनके बेटे को हिरासत में लेकर थाने पहुंची। 6 अक्टूबर को सत्य प्रकाश की मौत हो गई।

परिवार का आरोप: सत्य प्रकाश के बेटे ने कहा, ‘पुलिस टीम में करीब 10 से 12 लोग थे, इन्होंने पापा की रास्ते में ही पिटाई शुरू कर दी थी। थाने ले जाकर भी टॉर्चर किया जिससे उनकी मौत हो गई’।

पुलिस की थियरी: थाने में सत्यप्रकाश की तबीयत खराब हुई। अस्पताल ले गए।

थियरी पर सवालः पुलिस ने बताया कि खराब हालत में अस्पताल ले गए। बाद में मौत हो गई। जबकि डॉक्टर ने कहा, ‘जब पुलिस वाले सत्यप्रकाश को लेकर आए तो उसकी पहले ही मौत हो चुकी थी’।

ये सिर्फ 5 घटनाएं थीं। यूपी देशभर में फिलहाल हिरासत में मौत मामले में सबसे आगे है। पिछले 7 साल के आंकड़े भी यही बता रहे हैं। आंकड़े देखिए…


आखिर में हम पुलिस कस्टडी में किसी भी आरोपी या दोषी को टॉर्चर करने को लेकर बनाए नियम भी बता रहे हैं। इसे सुप्रीम कोर्ट ने बताया था…

  • हिरासत में हुई मौत को 24 घंटे के अंदर NHRC को रिपोर्ट करना जरूरी है। इसके अलावा पोस्टमॉर्टम की वीडियो रिकॉर्डिंग भी करना कंपल्सरी है।
  • हर पुलिस स्टेशन में CCTV कैमरा लगाए जाएंगे। CCTV कैमरा नाइट विजन होंगे। सभी फुटेज को 18 महीने तक सेफ रखना कंपलसरी है।
  • हर जिले में मानवाधिकार कोर्ट होगा, किसी के साथ मारपीट होती है तो वो राज्य या जिला मानवाधिकार आयोग में शिकायत कर सकता है।
  • जब भी पुलिस किसी गवाह के बयान ले तो उसकी भी ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग होनी चाहिए।
  • पुलिस हिरासत में अगर कोई बीमार पड़ जाता है या उसे कोई परेशानी होती है तो उसे रिकॉर्ड किया जाएगा।

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