अलीगढ़ | सनातन प्रतिभा फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आजीवन ब्रह्मचारी बने रहने का लिया संकल्प, स्वामी विवेकानन्द को मानते हैं अपना आदर्श

अभिषेक चौधरी

सनातन प्रतिभा फाउंडेशन की ओर से स्वामी विवेकानंद पार्क, आवास विकास कॉलोनी, आगरा रोड अलीगढ़ में राष्ट्रीय युवा दिवस एवं स्वामी विवेकानंद जी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें सनातन प्रतिभा फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णभक्त अभिषेक सक्सैना ने स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा को भगवा वस्त्र पहनाकर आजीवन विवाह ना करने की अखण्ड प्रतिज्ञा लेकर युवाओं के लिए एक नया उदाहरण पेश किया है। इस अवसर पर अभिषेक सक्सैना ने बताया कि कलकत्ता के एक बंगाली कायस्थ परिवार में जन्मे स्वामी विवेकानन्द जी अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस जी से काफी प्रभावित थे जिनसे उन्होंने सीखा कि सभी जीवों मे स्वयं परमात्मा का ही अस्तित्व है। अपने गुरु के परलोक गमन के पश्चात्‌ विवेकानन्द ने बड़े पैमाने पर भारतीय उपमहाद्वीप की यात्रा की और ब्रिटिश भारत में तत्कालीन स्थितियों का प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त किया। बाद में विश्व धर्म संसद 1893 में भारत का प्रतिनिधित्व करने, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए प्रस्थान किया। विवेकानन्द ने संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में सनातन दर्शन के सिद्धान्तों का प्रचार प्रसार किया और कई सार्वजनिक और निजी व्याख्यानों का आयोजन किया। स्वामी विवेकानंद जी के ऐसे आदर्श व्यक्तित्व से प्रभावित होकर ही मैंने आजीवन ब्रह्मचारी रहकर राष्ट्र की सेवा करने का संकल्प लिया है। इस अवसर पर संस्था के सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा को माल्यार्पण कर उनका आशीर्वाद लिया और निशुल्क 108 हनुमान चालीसा का वितरण भी किया। कार्यक्रम का संचालन संस्था के प्रचार मंत्री अग्नेश कुमार यादव ने किया। कार्यक्रम के आयोजन में दीप सक्सैना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस मौके पर सनातन प्रतिभा फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णभक्त अभिषेक सक्सैना, राष्ट्रीय सचिव लोकेश कुमार सिंघल, ऑडीटर सचिन अग्रवाल, संगठन मंत्री डॉक्टर मनोज कुमार यादव, प्रचार मंत्री अग्नेश कुमार यादव, दीप सक्सैना, नंदिनी वार्ष्णेय, उमेश वार्ष्णेय, अंकित वार्ष्णेय, मुकेश कपूर, नितिन साहू, पवन शर्मा उपस्थित रहे। विभिन्न क्षेत्रों में भारत का नेतृत्व करने के लिए युवाओं को आगे आकर वर्षों से चली आ रही सामाजिक कुरीतियों जाति प्रथा, छुआछूत, ऊँचनीच आदि को दूर करने का प्रयास करना चाहिए

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