हरदुआगंज : थाने में जो 28 घंटे बैठे थे, उनमें से एक पर गोली चलाने का मुकदमा है – मगर पुलिस बोली, सब साफ हैं!

हरदुआगंज थाने की बाग रेड पर उठे सवाल थमने का नाम नहीं ले रहे। जिन चार युवकों को भारी भरकम पुलिस बल ने पकड़कर 28 घंटे तक थाने में रखा और फिर "कोई आपराधिक इतिहास नहीं" बताकर छोड़ दिया – उनमें से कम से कम दो युवक पहले से विवादों में घिरे हुए हैं।

  • लखन यादव (हरदुआगंज निवासी) पर 19 अगस्त 2024 को एक जानलेवा हमले का मुकदमा नामजद आरोपी के तौर पर दर्ज है।
  • विष्णु (दाउदपुर निवासी) पर भी मारपीट, बाइक लूट और जान से मारने की धमकी के गंभीर आरोप लग चुके हैं – जिसकी शिकायत जनसुनवाई पोर्टल पर की गई है।

📌 अब सवाल यह उठता है:

जब एक आरोपी नामजद और दूसरा विवादित रिकॉर्ड वाला था, तो पुलिस ने इन्हें ‘निर्दोष’ कैसे मान लिया? क्या सिस्टम को किसी ने जानबूझकर गुमराह किया या फिर यह सारा मामला अंदरूनी सेटिंग का है?


🔍 कौन, किस केस में फंसा?

📅 19 अगस्त 2024
नामजद आरोपी: लखन यादव, राजू यादव और अन्य
आरोप: गाली-गलौच, गोली चलाना, हत्या की नीयत से हमला
स्थिति: एफआईआर दर्ज, जांच अधिकारी – उपनिरीक्षक निज़ामुद्दीन

📅 2 जून 2025
आरोपी (शिकायत अनुसार): विष्णु (दाउदपुर) सहित अन्य
आरोप: मारपीट, बाइक और मोबाइल लूट
स्थिति: जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज


🤐 थाने की ‘भूल’ या कोई ‘साजिश’?

थानाध्यक्ष धीरज यादव का बयान था कि “कोई रिकॉर्ड नहीं मिला”, जबकि लखन का नाम एफआईआर में और विष्णु के खिलाफ गंभीर आरोप रिकॉर्ड में मौजूद हैं।

👁‍🗨 अब सवाल जनता पूछ रही है:

  • क्या पुलिस कप्तान तक झूठी रिपोर्ट भेजी गई?
  • या फिर रेड करके ‘फिल्मी सीन’ बना, और फिर सेटिंग से सारा मामला शांत किया गया?

🔥 जनता का गुस्सा फूटा:

“जब अपराधियों को छोड़ा जाएगा और ईमानदार कार्रवाई करने वालों की मेहनत कुचली जाएगी, तब हरदुआगंज में क्राइम कंट्रोल सिर्फ नारे बनकर रह जाएगा।”
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