हरदुआगंज : अबकी बार जिला पंचायत सदस्य पति , कल तुम – हरदुआगंज की फायरिंग ने फैलाई दहशत!

जिला पंचायत सदस्य के पति पर फायरिंग: 36 घंटे की चुप्पी, प्रशासन की सुस्ती और गांवों में गोलियों की गूंज – सिस्टम अब भी बेखबर क्यों?

हरदुआगंज, अलीगढ़। जिला पंचायत सदस्य दुर्गेश कुमारी के पति वीरपाल दिवाकर की बोलेरो कार पर 10 जुलाई की सुबह बाइक सवार बदमाशों ने फायरिंग की। आरोप है कि हमला प्रॉपर्टी विवाद में हुआ, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि FIR दर्ज करने में 36 घंटे क्यों लगे?

हमले के बाद न तो डायल 112 पर कॉल हुआ, न ही पास के थाना (400 मीटर) या पुलिस चौकी (2 किमी) को सूचना दी गई। पीड़ित सीधे अपने बिजनेस पार्टनर राधे सैनी के पास अलीगढ़ पहुंचा। जब शुक्रवार शाम तहरीर लेकर थाने गया, तब जाकर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया और फॉरेंसिक टीम को बुलाया।

पकड़े गए हमलावर – प्रॉपर्टी विवाद से निकला कनेक्शन

वीरपाल पर फायरिंग के मामले में जिन आरोपियों को मडराक पुलिस ने गिरफ्तार किया है, वे पहले से दर्ज मुकदमे में नामजद हैं:

  • आरिफ पुत्र अब्दुल कयूम, निवासी सोरों गेट, कासगंज
  • बबलू कश्यप पुत्र धनेशराम, निवासी बाबा कालोनी, अलीगढ़
  • धर्मेंद्र शर्मा उर्फ चीनू पुत्र स्व. जयन्ती प्रसाद शर्मा, निवासी ज्वालापुरी, क्वार्सी, अलीगढ़

इनके पास से 3 देशी तमंचे, 8 कारतूस, ₹20,100 रुपये और पल्सर मोटरसाइकिल बरामद हुई है। इनके विरुद्ध मु0अ0सं 146/2025 के अंतर्गत BNS की कई धाराएं व 3/25 आर्म्स एक्ट में कार्रवाई की गई है।

₹35,000 की लूट के पीछे एक करोड़ की सुपारी का खेल!

जानकारी के अनुसार, 18 जून को थाना मडराक क्षेत्र में प्रॉपर्टी डीलर राधे सैनी और उनके साथी वीरपाल दिवाकर के साथ जो ₹35,000 की लूट हुई, वह महज पैसों की वसूली नहीं थी। सूत्रों के मुताबिक, इस लूट की आड़ में पीड़ितों को जान से मारने की साजिश रची गई थी। बताया जा रहा है कि उक्त हमलावरों ने पीड़ितों की हत्या के लिए ₹1 करोड़ की सुपारी ली थी।

फायरिंग से पहले हुई इस लूट में हमलावरों ने जबरन ₹35,000 रुपये छीन लिए और बचा हुआ पैसा भी पीड़ितों पर ही थोप दिया, जैसे वो उनका कोई उधार बाकी हो। बाद में यही बात बार-बार फोन कॉल्स के ज़रिए कहकर धमकियां दी गईं — “जो बाकी है, वो भी दे दो, वरना अंजाम बुरा होगा।”

इस घटना में शामिल तीनों नामजद आरोपी – रोशन शर्मा उर्फ पप्पू पहलवान, धर्मेंद्र उर्फ चीनू और आरिफ – पहले से अपराधों में लिप्त रहे हैं, और यही लोग बाद में वीरपाल पर फायरिंग की घटना में भी सामने आए।

गोलियों से थर्राया अलीगढ़ ग्रामीण: यह कोई पहली घटना नहीं

ये मामला सिर्फ एक घटना तक सीमित नहीं है। नीचे दर्ज ये तारीखें और घटनाएं कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि हरदुआगंज और आसपास के गांवों की हकीकत हैं – जिन्हें प्रशासन अब भी हल्के में ले रहा है, तो यह सीधे जनता की जान से खिलवाड़ है:

  • 10 फरवरी – कोंडरा: शेरगढ़ निवासी विवेक पर फायरिंग, पैर में गोली लगी।
  • 7 अप्रैल – कलाई: तेजवीर पर खेत में भूसा ढोते समय जानलेवा हमला।
  • 14 अप्रैल – बुढासी रोड: मोहित चौहान की बाइक पर कार सवारों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं।
  • 16 अप्रैल – कोंडरा चौराहा: प्रतीक जादौन पर सिर में पिस्टल से वार और फायरिंग।
  • 17 अप्रैल – कलाई: डेरी व्यवसायी मनोज गुप्ता को दुकान से खींचकर पीटा गया।
  • 13 मई – कलाई: मनोज गुप्ता पर दोबारा फायरिंग, हमलावर बाइक से फरार।
  • 3 जून – हरदुआगंज: नेहरू जूनियर स्कूल के पास शिवम से बाइक लूट, गोली चलाकर।
  • 23 जून – सपेराभनपुर: सड़क किनारे खड़ी कार पर फायरिंग से दहशत।
  • 30 जून – भवनगढ़ी: बीना देवी के घर पर अज्ञात हमलावरों की गोलियां।
  • 4 जुलाई – भवनगढ़ी: नामजद हमलावरों ने घर में घुसकर जानलेवा हमला किया।

प्रशासन की प्रतिक्रिया – तंज और चुप्पी

पत्रकार जब CO अतरौली राजीव द्विवेदी से संपर्क करते हैं तो जवाब मिलता है – "पत्रकार हो तो पत्रकार की तरह बात करो"। क्या अब सवाल पूछना भी अपराध बन गया है?

क्या गांवों में कानून सिर्फ कागज़ पर है?

हर महीने फायरिंग, लूट, जानलेवा हमले और धमकी की वारदातें हो रही हैं, लेकिन कहीं FIR दर्ज नहीं, कहीं गिरफ्तारी नहीं, और कहीं 36 घंटे बाद मुकदमा। सिस्टम की यह सुस्ती आम लोगों के लिए सीधी चुनौती और अपराधियों के लिए खुला निमंत्रण बन चुकी है।

क्या जिला पंचायत सदस्यों और रसूखदारों की लड़ाइयों में गांवों को बारूद में झोंका जाएगा? या फिर कभी कोई SSP, DM, या शासन का कोई ज़िम्मेदार इन घटनाओं को गंभीरता से लेगा?

जनता पूछ रही है: गोली मारो, FIR बाद में... यही है अब नया फार्मूला?

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