अलीगढ़ | घेर के अंदर दरिंदगी: बुजुर्ग ने 10वीं के छात्र से किया कुकर्म

 


अलीगढ़ (गोधा)। जहां कानून बच्चों की सुरक्षा का दम भरता है, वहीं अलीगढ़ के एक गांव में इंसानियत को 70 साल के एक दरिंदे ने घेर के अंदर कैद करके रौंद डाला। लेकिन हैरानी की बात ये नहीं कि एक नाबालिग से कुकर्म हुआ — हैरानी की बात ये है कि जब पीड़ित छात्र अपने पिता के साथ न्याय मांगने थाने गया तो पुलिस ने उसे फरियादी नहीं, जैसे कोई मुजरिम बना दिया।

पीड़ित परिवार का आरोप है कि गोधा थाना क्षेत्र के एक गांव में 12 जुलाई की रात को उनका 16 वर्षीय बेटा, जो कक्षा 10 में पढ़ता है, बाहर गली में खड़ा था। तभी पड़ोसी करीब 70 वर्षीय बुजुर्ग उसे काम करवाने के बहाने अपने घेर में ले गया। जहां दरवाज़ा बंद कर छात्र के साथ कुकर्म किया गया।

घटना का एक और सनसनीखेज पहलू यह है कि एक अन्य युवक ने इस पूरी वारदात का वीडियो अपने मोबाइल में कैद कर लिया — बाद में डिलीट करने की बात कही गई, लेकिन यह क्लिप पीड़ित परिवार की चिंता और भय को और बढ़ा गई।

घटना के तुरंत बाद गांव में अफवाहों और नाराज़गी का तूफ़ान उठ खड़ा हुआ। कुछ गांव वालों ने आरोपी को माफ़ी मांगने की सलाह दी, लेकिन तीन दिन बाद भी कोई कार्रवाई या पश्चाताप न देख पीड़ित छात्र के पिता ने 16 जुलाई को गोधा थाने का रुख किया।

थाने में सात घंटे का इंतज़ार, पर इंसाफ नहीं मिला

पीड़ित छात्र और उसके पिता को पुलिस ने शिकायत लेने के बजाय करीब 7 घंटे तक थाने में बैठाए रखा। उस बीच न कोई मेडिकल परीक्षण हुआ, न एफआईआर। केवल घण्टों की चुप्पी और सिस्टम की मूकबधिर संवेदनहीनता।

रात के इंतज़ार के बाद मेडिकल, अब बच्चा भर्ती

आख़िरकार रात में पुलिस ने लड़के को जिला अस्पताल भिजवाया, जहां डॉक्टरों ने हालात की गंभीरता को देखते हुए छात्र को भर्ती कर लिया। डॉक्टर सचिन वर्मा (ईएमओ, जिला अस्पताल) के अनुसार, “मेडिकोलीगल करके स्लाइड्स जांच के लिए बनाई गई हैं, केस बेहद संवेदनशील है।”

पीड़ित का आरोप – पुलिस गांव जाकर भी आरोपी को नहीं पकड़ा

पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस गांव जाकर भी आरोपी बुजुर्ग को गिरफ्तार नहीं कर सकी, जबकि वो वहीं मौजूद था। यह भी सामने आया है कि आरोपी की पत्नी आंगनबाड़ी विभाग में सुपरवाइजर रह चुकी है — क्या ये रसूख कार्रवाई के रास्ते में दीवार बना?

🔥 अब सवाल ये नहीं कि आरोपी बुजुर्ग जेल जाएगा या नहीं… सवाल ये है कि पुलिस 7 घंटे तक चुप क्यों रही?

👉 एक बच्चा जिन ज़ख्मों के साथ जी रहा है, क्या सिस्टम उन जख्मों को गंभीरता से ले रहा है?

👉 क्या पुलिस ने एक पीड़ित को इंसाफ के बजाय इंतज़ार और अपमान ही दिया?

जनता V/S सिस्टम में ये सिर्फ एक मामला नहीं, ये उस सोच पर चोट है जो कहती है — "थाने जाओगे तो मदद मिलेगी!"

लेकिन अब लगता है — "थाने जाओगे तो घंटों बिठाया जाएगा, केस होगा या नहीं, ये तय करेगा सिस्टम का मूड!"

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