अलीगढ़, हरदुआगंज।
गांव भवनगढ़ी में शुक्रवार रात एक घर पर हुई ताबड़तोड़ फायरिंग की घटना से गांव में दहशत व्याप्त है। पीड़िता बीना देवी और उनके बेटों पर हुए इस दुस्साहसी हमले में सिर्फ दीवारें नहीं छलनी हुईं, बल्कि कानून व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल उठे हैं।
- 👉 सबसे गंभीर बात यह है कि इसी मामले में 30 जून को पहले ही एफआईआर संख्या 0242/25 दर्ज हो चुकी है, लेकिन आज तक न तो पुलिस मौके पर जांच करने पहुंची, न ही आरोपियों पर कोई कड़ी कार्रवाई हुई।
- 👉 पहले भी हमलावरों के खाली कारतूस बरामद हो चुके हैं, बावजूद इसके पुलिस ने इसे हल्के में लिया और मौका-ए-वारदात पर न तो कोई टीम भेजी, न ही फॉरेंसिक जांच कराई।
खुद पर मुकदमा दर्ज होने से बौखलाए नामजद हमलावरों ने शुक्रवार की रात इरादतन बीना देवी के घर में घुसकर गोलियां चलाई। दीवारों में धंसी गोलियां इस जानलेवा हमले की गवाह व मौके पर मिले दो कारतूस के खाली खोखे सबूत हैं। दुस्साहसिक घटना के बाद पुलिस अब भी मौन है।
- 🔹 4 जुलाई की रात लगभग 11:30 बजे बीना देवी के घर में घुसे हथियारबंद फायरिंग कर भाग गए। जानलेवा हमले का आरोप गांव भवनगढ़ी के भूपेंद्र उर्फ बौबी, ग्वालरा गांव के प्रवीन व चेंचू नामक युवक पर है।
- 🔹 एक गोली आंगन में, दूसरी गोली बेडरूम के दरवाजे के पास लगी। उस वक्त बीना देवी अपने बेटों के साथ बेडरूम में थीं — तीनों की जान बाल-बाल बचे।
- 🔹 हमलावरों को महिला ने साफ-साफ पहचान लिया, गांव के अन्य लोग भी मौके पर पहुंचे और गोलियों की आवाजें सुनीं।
- 🔹 पहले की एफआईआर में भी साफ था कि आरोपियों ने जान से मारने की धमकी दी थी, लेकिन पुलिस की चुप्पी ने आरोपियों के हौसले और बढ़ा दिए।
हरदुआगंज में पिछले चार माह में एक दर्जन से अधिक गोलीकांड हो चुके है, अब सवाल यह है कि जब एक बार मुकदमा दर्ज होने के बाद यदि पुलिस सख्ती दिखाती तो क्या हमलावर घटना की पुनरावृत्ति करने की हिमाकत कर पाते।
पीड़िता बीना देवी ने तहरीर देकर मुकदमा की मांग करते हुए ने साफ कहा।
"हमने सब कुछ पुलिस को बताया था, पहले भी गोली चली थी। कारतूस मिले थे, धमकियां दी गई थीं। लेकिन पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया। अब दोबारा जान से मारने की कोशिश की गई। अगर आगे कुछ हुआ, तो उसकी जिम्मेदारी भी पुलिस की होगी।"