चार महीने तक मथुरा बना ‘घुसपैठियों का अड्डा’, प्रशासन देखता रहा तमाशा, प्रशासन की नाकामी से देश की सुरक्षा पर संकट!

 


मथुरा के नौहझील थाना क्षेत्र में पुलिस और LIU (स्थानीय खुफिया इकाई) की कार्रवाई ने जिला प्रशासन की नींद उड़ा दी है। एक नहीं, दो-दो ईंट भट्ठों पर अवैध रूप से रह रहे 90 बांग्लादेशी नागरिक पकड़े गए हैं, जिनमें 35 पुरुष, 27 महिलाएं और 28 मासूम बच्चे शामिल हैं। हैरानी की बात यह है कि ये सभी लोग चार महीने से मथुरा में खुलेआम रह रहे थे, और जिला प्रशासन, स्थानीय पुलिस से लेकर खुफिया एजेंसियां तक बेखबर थीं।

ईंट भट्ठों पर गुलामों जैसी ज़िंदगी

LIU को खाजपुर गांव में स्थित मोदी ईंट उद्योग पर अवैध विदेशी मजदूरों के काम करने की सूचना मिली। मौके पर छापेमारी में 40 बांग्लादेशी मजदूर मिले, जिन्हें तुरंत हिरासत में लिया गया। पूछताछ में खुलासा हुआ कि बाजना रोड पर स्थित RPS ईंट भट्ठा पर भी 50 और बांग्लादेशी नागरिक काम कर रहे हैं। इसके बाद दूसरे स्थान पर दबिश देकर उन्हें भी पकड़ लिया गया।

प्रशासन की आंखों में धूल झोंक कर पार किया बॉर्डर

पूछताछ में सामने आया कि ये सभी बांग्लादेशी चार महीने पहले अवैध रूप से भारत में दाखिल हुए थे, पहले किसी दूसरे राज्य में काम कर रहे थे और फिर ठेकेदारों के जरिए मथुरा भेज दिए गए। इन मजदूरों को न कोई वैध दस्तावेज दिए गए, न ही उनका कोई स्थानीय सत्यापन हुआ। प्रशासन की ओर से कोई निगरानी या जाँच तक नहीं की गई।

28 मासूम बच्चों से भी काम करवा रहे थे!

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 28 बच्चे भी इन बांग्लादेशी नागरिकों के साथ ईंट भट्ठों पर मौजूद थे। यह बालश्रम कानून का खुला उल्लंघन है और मानवाधिकारों की सीधी अवहेलना। यह सवाल उठाता है कि कई महीनों तक इन बच्चों को देखकर भी प्रशासन की निगाह क्यों नहीं गई?

कौन हैं इसके जिम्मेदार?

इन अवैध नागरिकों को यहां किसने लाया? किस अधिकारी की निगरानी में ये सब कुछ हो रहा था? ईंट भट्ठों के मालिकों और ठेकेदारों पर अब तक क्या कार्रवाई हुई? और सबसे जरूरी सवाल, प्रशासन इतने समय तक क्यों खामोश रहा? यह कोई एक दिन की चूक नहीं, बल्कि सिस्टम की पूरी तरह से विफलता है।

अब हरकत में आईं एजेंसियां, पर देरी क्यों?

SSP श्लोक कुमार ने बताया कि सभी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है और मामले की जानकारी IB, मिलिट्री इंटेलिजेंस समेत अन्य एजेंसियों को दे दी गई है। लेकिन यह कार्रवाई तब क्यों नहीं हुई जब ये लोग भारत में दाखिल हुए थे? क्यों नहीं बॉर्डर पर ही इनकी घुसपैठ रोकी गई?

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यह मामला केवल अवैध घुसपैठ का नहीं है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही, बालश्रम, मानव तस्करी और राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ का है। अगर अब भी जवाबदेही तय नहीं की गई तो आने वाले समय में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति होना तय है।

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