अलीगढ़ : भतीजे की बाहों में चाची; हरदुआगंज में ममता और मर्यादा दोनों शर्मसार – दो मासूम बच्चों के भविष्य पर संकट

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निखिल शर्मा

"मुझे नहीं डर अपनी जान का, डर है तो बस अपने मासूम बच्चों की ज़िंदगी का..." — ये दर्दभरे शब्द हैं एक उस पिता के, जिसकी दुनिया एक झटके में उजड़ गई। हरदुआगंज थाना क्षेत्र के एक गाँव से सामने आए इस मामले ने रिश्तों की मर्यादा और सामाजिक संरचना दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

पीड़ित पिता ने तहरीर देकर आरोप लगाया है कि उसका ही भतीजा, जिसे उसने बेटे जैसा पाला था, उसकी पत्नी और दो मासूम बच्चों को बहला-फुसलाकर भगा ले गया। ये घटना 23 मई 2025 को घटित हुई, लेकिन इसके पीछे की कहानी पिछले साल से ही सुलग रही थी।

पीड़ित ने बताया कि वर्ष 2024 में ही भतीजे और पत्नी के बीच अवैध संबंधों की भनक उसे लग गई थी। फरवरी 2025 में पत्नी पहली बार भागी थी, लेकिन सामाजिक दबाव के चलते वापस लौटी। तभी से भतीजा खुलेआम धमकी देने लगा कि "इस बार गया तो बच्चों समेत सबको लेकर जाऊंगा, तेरा वंश खत्म कर दूंगा।" और आखिरकार, उसने वही किया।

बच्चों की सुरक्षा पर मंडरा रहा खतरा

पीड़ित का आरोप है कि उसकी पत्नी अब एक आपराधिक और गंदे माहौल में रह रही है, जहां बच्चों की मानसिक और शारीरिक सुरक्षा खतरे में है। उन्हें डर है कि मासूमों को या तो गलत राह पर ढकेला जाएगा या फिर किसी साजिश की बलि चढ़ा दिया जाएगा।

ससुराल पक्ष पर भी गहरा शक

पीड़ित ने इस पूरे घटनाक्रम में अपने ससुराल के कुछ लालची रिश्तेदारों की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। आरोप है कि वे भतीजे को उकसाकर यह सब करवा रहे हैं ताकि पीड़ित को ब्लैकमेल कर उसकी जमीन-जायदाद हड़पी जा सके।

यह मामला हरदुआगंज थाना पुलिस के लिए कानूनी नहीं, बल्कि मानवीय चुनौती बन गया है। जिस तरह बच्चों की जान दांव पर है, अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो यह मामला प्रदेश स्तर पर चर्चित हो सकता है

क्या अब भी देर होगी?

जब देशभर में पत्नियों द्वारा पति की हत्या, विश्वासघात, और अवैध संबंधों के केस सामने आ रहे हैं, तब यह मामला भी एक और भयावह अध्याय जोड़ सकता है। फर्क बस इतना है कि इस बार शिकार एक मेहनतकश पिता और उसके मासूम बच्चे हैं।

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