अलीगढ़ जिले के साधूआश्रम-पनैठी मार्ग पर शनिवार को मांस ढो रहे लोडर वाहन को रोककर कुछ लोगों ने उस पर सवार युवकों को पीट दिया। इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर रविवार को जेल भेज दिया गया है, जबकि अन्य फरार हमलावरों की पहचान के लिए पुलिस और एसओजी की टीमें अलग-अलग दिशाओं में दबिश दे रही हैं।
घटना की शुरुआत उस वक्त हुई जब अतरौली क्षेत्र से चार युवक—अरबाज, कदीर, अकील प्रथम और अकील—एक लोडर में मीट लेकर निकल रहे थे। जैसे ही उनका वाहन अलहदादपुर स्टेडियम के नजदीक पहुंचा, कुछ लोगों ने उन्हें घेर लिया और गोवंश से जुड़े संदेह में हमला कर दिया। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन भीड़ ने उनके सामने ही सप्लायर्स को बेरहमी से पीटा।
स्थिति बिगड़ते देख जब पुलिस ने हस्तक्षेप किया, तब भीड़ ने डायल-112 की गाड़ी के शीशे फोड़ दिए और लोडर में आग लगा दी। यही नहीं, मांस के टुकड़े हाइवे पर फेंककर रास्ता जाम कर दिया गया, जिससे लगभग एक घंटे तक यातायात अवरुद्ध रहा।
इस मामले में दो अलग-अलग शिकायतें दर्ज की गईं। पहली एफआईआर उन लोगों के खिलाफ दर्ज हुई जिन्होंने लोडर चालक पर जानबूझकर बाइक सवार को टक्कर मारने का आरोप लगाया। दूसरी एफआईआर मीट सप्लायर्स की ओर से दी गई, जिसमें उन्होंने दावा किया कि हमला सुनियोजित था और हमलावरों में कई स्थानीय प्रभावशाली लोग शामिल थे।
मीट फैक्ट्री से वाहन निकलने की पुष्टि के बाद पुलिस ने तीन आरोपियों—विजय बजरंगी, विजय गुप्ता और लवकुश बजरंगी—को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है।
थानाध्यक्ष धीरज कुमार के मुताबिक, घटना में शामिल अन्य नामजद और अज्ञात हमलावरों की पहचान की जा रही है। इसके लिए इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों और वायरल वीडियो की जांच की जा रही है।
विवादों में उलझी कार्रवाई
इस मामले में एक नया मोड़ तब आया जब हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों ने सोशल मीडिया पर प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए। उनका दावा है कि जिन लोगों पर आरोप लगे हैं, वे तो मौके पर उपस्थित ही नहीं थे, बल्कि भीड़ को शांत करने में पुलिस की सहायता कर रहे थे। अब इन "मददगारों" को ही आरोपी बना दिए जाने से आक्रोश फैल गया है।