धनीपुर ब्लॉक के गांव छिड़ावली में पंचायत सचिवालय का हाल बेहाल है। सरकार ने गांवों को स्मार्ट बनाने और विकास योजनाओं को धरातल पर लाने के लिए पंचायत सचिवालयों को डिजिटल किया और पंचायत सहायकों की तैनाती की, लेकिन छिड़ावली में यह सचिवालय ग्राम प्रधान का 'मक्का गोदाम' बन गया है। गुरुवार को सचिवालय के कक्षों पर ताला लटका था, जबकि परिसर में ग्राम प्रधान की मक्का सुखाई जा रही थी।
पूर्व ग्राम प्रधान संजय चौहान ने बताया कि 15 दिन पहले सचिवालय में मक्का के भुट्टे भरे थे। परिसर में थ्रेसर से मक्का निकाला गया और अब खुले में मक्का सुखाई जा रही है। उन्होंने कहा, "यह सचिवालय ग्रामीणों की समस्याओं के समाधान और विकास योजनाओं के लिए बनाया गया था, लेकिन इसका दुरुपयोग हो रहा है।"
भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, RTI से खुलासे की कोशिश
गांव के रिटायर्ड फौजी अवधेश सिंह ने पिछले दस सालों में ग्राम विकास कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए RTI के जरिए जानकारी मांगी थी। पंचायत सचिव रोशनी सिंह से जुड़ा यह मामला जन सूचना आयोग तक पहुंच गया है। अवधेश का आरोप है कि सूचना मांगने के बाद उन्हें खुलेआम धमकियां दी जा रही हैं। धमकी मिलने के बाद उन्होंने पुलिस से कार्रवाई और सुरक्षा की मांग की है।
विकास कार्यों पर सवाल, सचिवालय बंद
गांव में विकास कार्य ठप होने की शिकायतें जोरों पर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत सचिवालय का इस्तेमाल विकास के लिए नहीं, बल्कि निजी कार्यों के लिए हो रहा है। गुरुवार को सचिवालय के कक्ष बंद थे, और परिसर में मक्का सुखाने का काम चल रहा था। ग्रामीणों का आरोप है कि सचिवालय की इस स्थिति से गांव की समस्याओं का समाधान और विकास योजनाओं का लाभ मिलना मुश्किल हो गया है। ग्रामीणों ने प्रशासन से इस मामले की जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। अवधेश सिंह ने कहा, "हम सिर्फ सच जानना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए हमें धमकियां मिल रही हैं। प्रशासन को इसकी जांच कर सचिवालय को उसके मूल उद्देश्य के लिए उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए।"
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यह मामला न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि ग्राम विकास में भ्रष्टाचार और मनमानी के गंभीर सवाल भी खड़े करता है।