हरदुआगंज : ढसन्ना बना 'ढस जाना': कीचड़ की राजधानी में ग्रामीणों का गुस्सा फूटा, पानी में डूबा विकास

📍 हरदुआगंज (अलीगढ़) | विशेष रिपोर्ट

गांव ढसन्ना में आज शुक्रवार को ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर यह साबित कर दिया कि अगर कहीं कीचड़ और जलभराव में गोल्ड मेडल की दौड़ हो, तो उनका गांव दुनिया के नक्शे में सबसे ऊपर होगा।

जहां एक ओर सरकार स्मार्ट सिटी बनाने में जुटी है, वहीं ढसन्ना गांव ‘स्लश सिटी’ बनने की ओर तेज़ी से अग्रसर है। गांव की गलियों में पानी ऐसा बह रहा है मानो गंगा आरती हर मोड़ पर हो रही हो — बस फर्क इतना है कि यहां बहाव में आस्था नहीं, बदबू बह रही है।

प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने कहा:
“कीचड़ में चलना अब हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। सुबह उठते ही सोचते हैं—आज कौन सा पैर पहले फिसलेगा?”

इस मौके पर मुराली लाल, पप्पू सिंह, उदयवीर, देवा, कोमल, राकेश कुमार समेत तमाम ‘जल-योद्धा’ मौजूद रहे, जिनकी एक ही मांग थी—“गांव में विकास हो, कम से कम इतना कि सूखे पैर स्कूल, अस्पताल और वोट डालने तक तो पहुंच सकें।”

ग्रामीणों का कहना है कि सड़कें नहीं, तैराकी की ट्रेनिंग सेंटर हैं। बच्चे स्कूल नहीं जा रहे, बल्कि तैरना सीखकर ओलंपिक की तैयारी कर रहे हैं।

अब देखना यह है कि प्रशासन इस ‘जल-कथा’ का अंत करता है या इसमें नया चैप्टर जोड़कर इसे जलपरी कथा बना देता है।
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