अलीगढ़ : हरदुआगंज में नाबालिग को जेल; थाने में दिए शैक्षिक प्रमाण पत्र, पिता बोले — पैसे नहीं दिए तो बना दिया बलात्कारी

निखिल शर्मा | दिनांक: 30 जून 2025

अलीगढ़ के हरदुआगंज थाना क्षेत्र में एक नाबालिग लड़के की जिंदगी झूठे मुकदमे और पुलिस-दलाल गठजोड़ की भेंट चढ़ गई।

टनकपुर स्थित माता पूर्णागिरी के दर्शन को गए दो नाबालिग दोस्तों की धार्मिक यात्रा को झूठे आरोपों और साजिश के दम पर बलात्कार और अपहरण जैसा जघन्य अपराध बना दिया गया — सिर्फ इसलिए क्योंकि लड़के के पिता ने रिश्वत देने से मना कर दिया था।

पूर्णागिरी की यात्रा बनी अपराध की पटकथा

हरदुआगंज निवासी मुकेश कुमार सिंह का 16 साल 11 महीने का बेटा अपनी 16 वर्षीय दोस्त के साथ 13 अप्रैल 2025 को टनकपुर (उत्तराखंड) स्थित माता पूर्णागिरी के दर्शन को गया था।

जब इस बात की जानकारी परिवार को मिली, तो लड़के के परिजन खुद उत्तराखंड पहुंचे और दोनों बच्चों को वहां से सुरक्षित लेकर लौटे।

इसके बाद लड़की को हरदुआगंज थाने में पुलिस की मौजूदगी में उसके परिजनों को सकुशल सौंप दिया गया।


लड़की ने बयान दिया — “मैं अपनी मर्जी से गई थी”

थाने में लड़की ने अपने बयान दर्ज कराते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि वह अपनी मर्जी से अपने दोस्त के साथ गई थी, और उस पर किसी भी प्रकार का दबाव या जबरदस्ती नहीं की गई थी।

परिवार ने सोचा कि मामला यहीं शांत हो जाएगा, लेकिन यहां से शुरू हुआ दलालों और वर्दीधारियों का गंदा खेल।



₹2.5 लाख की वसूली की धमकी: “पैसे दो वरना बलात्कारी बना देंगे”

लड़के के पिता का आरोप है कि मोंटी और नवीन नाम के दो युवकों ने खुद को पुलिस का करीबी बताकर ₹2.5 लाख की मांग की।

“पैसे नहीं दिए तो तुम्हारे बेटे को जेल भिजवा देंगे, बलात्कार का केस बन जाएगा।”

और हुआ भी वही।

थाना हरदुआगंज में सौंपे गए दस्तावेज, फिर भी जेल

मुकेश सिंह ने 29 जून को थाना हरदुआगंज में बेटे की उम्र दर्शाने वाले शैक्षिक प्रमाणपत्र सौंपे, जिनमें साफ़ था कि लड़का महज 16 साल 11 महीने का है।

इसके बावजूद FIR संख्या 131/2025 में उसे बालिग दर्शाते हुए आज यानि 30 जून को जेल भेज दिया गया।

पिता का कहना है: “अगर थाना हरदुआगंज के CCTV कैमरे देख लिए जाएं, तो मेरी दस्तावेज सौंपने की सच्चाई खुद सामने आ जाएगी।”

तालानगरी चौकी इंचार्ज बोले – हमें तो कोई दस्तावेज मिले ही नहीं!

जब तालानगरी चौकी इंचार्ज से सवाल पूछा गया तो उन्होंने दावा किया:

“हमें कोई दस्तावेज नहीं दिए गए।”

सवाल ये उठता है — जब दस्तावेज थाना हरदुआगंज में सौंपे गए, तो क्या पुलिस विभाग के बीच साजिशन चुप्पी और भ्रम नहीं है?

क्षेत्राधिकारी अतरौली: “सत्यापन कराइए, कोर्ट जाइए”

जब CO अतरौली से संपर्क किया गया तो उन्होंने पूरे मामले को नजरअंदाज करते हुए दो टूक कहा:

👉 “प्रमाणपत्रों का सत्यापन होना भी आवश्यक है, अब कोर्ट जाइए वहीं से कार्यवाही कराएं।”

यानि एक पिता थाने में दस्तावेज सौंपता है, लेकिन पुलिस कहती है — “हमें क्या करना?”

सुने वायरल ऑडियो... नोट: मोंटी की अभद्र भाषा आपको विचलित कर सकती है...
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