उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने पुलिस की कार्यशैली और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कादरचौक थाना क्षेत्र की एक 15 वर्षीय नाबालिग लड़की ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए अपने बयान में एक पुलिस उपनिरीक्षक (एसआई) पर थाने में उसके साथ बलात्कार करने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा किया है, बल्कि पुलिस महकमे को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है।अपहरण से शुरू हुई कहानीपुलिस सूत्रों के अनुसार, 9 जून 2025 को कादरचौक थाना क्षेत्र के एक गांव से 15 वर्षीय किशोरी का अपहरण कर लिया गया था। अपहरण का आरोप गांव के ही एक व्यक्ति मुजक्किर पर लगा, जिसके खिलाफ पीड़िता के परिजनों ने 10 जून को थाने में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की और 21 जून को तमिलनाडु से किशोरी को मुक्त कराकर 23 जून को ट्रेन के जरिए बदायूं वापस लाया गया।दरोगा पर बलात्कार का आरोप
पीड़िता ने 27 जून को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए अपने बयान में चौंकाने वाला खुलासा किया। उसने बताया कि उसे मुक्त कराने के बाद कादरचौक थाने में लाया गया, जहां उपनिरीक्षक हरिओम ने उसे अपने कमरे में ले जाकर उसके साथ बलात्कार किया। पीड़िता का कहना है कि 23 जून को शाम 7 बजे थाने पहुंचने पर हरिओम ने उसे अपने कमरे में बुलाया और दुष्कर्म किया। इतना ही नहीं, उसने पीड़िता को धमकी दी कि अगर उसने इस घटना के बारे में किसी को बताया तो उसे जान से मार दिया जाएगा।
पीड़िता ने पत्रकारों से बातचीत में यह भी बताया कि उसकी दादी ने उसे मुजक्किर को बेच दिया था, जिसने उसे तमिलनाडु ले जाकर बंधक बनाया। इसके अलावा, उसने आरोप लगाया कि बदायूं वापसी के दौरान ट्रेन में भी हरिओम ने उसके साथ छेड़छाड़ की और अभद्र व्यवहार किया। डरी-सहमी किशोरी ने बाद में अपनी मां को इस घटना की जानकारी दी, जिसके बाद मामला उजागर हुआ।पुलिस का पक्ष और जांच के आदेश
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) बृजेश सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। दूसरी ओर, उझानी के पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) देवेंद्र सिंह ने एक अलग कहानी पेश की है। उनके अनुसार, 23 जून को दोपहर 3:37 बजे किशोरी को थाने लाया गया और उसे महिला हेल्प डेस्क के सामने पेश किया गया। इसके बाद उसी दिन शाम 4:41 बजे उसे वन स्टॉप सेंटर भेज दिया गया, जहां उसकी मेडिकल जांच के लिए तीन दिन तक रखा गया। सीओ के अनुसार, पीड़िता ने अपने बयान में मुजक्किर पर कई बार बलात्कार करने का आरोप लगाया, जबकि हरिओम पर ट्रेन में छेड़छाड़ और अभद्र भाषा का उपयोग करने की बात कही। हालांकि, थाने में बलात्कार के आरोप की जांच अभी चल रही है।
दरोगा का तबादला, जांच जारी
मामले के तूल पकड़ने के बाद उपनिरीक्षक हरिओम को 28 जून को कादरचौक थाने से शाहजहांपुर स्थानांतरित कर दिया गया। पुलिस ने थाने के सीसीटीवी फुटेज की जांच शुरू कर दी है और संबंधित कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है। डीआईजी ने इस मामले की जांच आईपीएस अधिकारी आकांक्षा वर्मा को सौंपी है, ताकि सभी तथ्यों की गहन पड़ताल की जा सके।
सामाजिक संगठनों का हंगामा
यह मामला तब और गरमाया जब पता चला कि अपहरण के बाद पुलिस ने शुरुआत में कार्रवाई में ढिलाई बरती। परिजनों ने हिंदू संगठनों के साथ मिलकर 20 जून को कादरचौक थाने का घेराव किया था, जिसके बाद पुलिस ने तमिलनाडु में किशोरी की लोकेशन का पता लगाकर उसे बरामद किया।