बरौठा में बैनामे का मर्डर — गवाही देने वाले ने कर लिया कब्जा, धमकी देने का आरोप

हरदुआगंज (अलीगढ़)।
बरौठा गांव में जमीन का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें कानून, दस्तावेज और गवाह सब कुछ होते हुए भी खरीदार को अपनी ही संपत्ति के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। और हैरानी की बात ये है कि इस खेल में वो लोग शामिल हैं, जो पहले खुद सौदे के गवाह थे — अब कब्जे के दावेदार बन बैठे हैं।

सुरेंद्र नगर निवासी सुभाष चंद्र अग्रवाल, जो खुद रजिस्ट्रार ऑफिस से रिटायर्ड अफसर हैं — जिनके हाथों से हजारों रजिस्ट्री-बैनामे निकले — आज उन्हीं को अपनी खरीदी हुई ज़मीन को लेकर दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं।

  • प्लॉट रजिस्टर्ड है।
  • बिक्री में खुद विक्रेता की पत्नी और बेटा गवाह हैं।
  • जमीन पर पक्की दुकानें तक बनी हुई हैं।

सुभाषचंद्र के अनुसार, उन्होंने वर्ष 2015 में बरौठा गांव की गाटा संख्या 324/5 का 137 वर्गगज प्लॉट अपने बेटे दीपांशु अग्रवाल और भवनगढ़ी निवासी योगेश कुमार के नाम बैनामा कराया था। इसी जमीन के पीछे 403 वर्गगज का एक और प्लॉट उनकी पत्नी रेखा अग्रवाल के नाम से भी कुंवरपाल सिंह पुत्र कल्याण सिंह निवासी बरौठा से बैनामा हुआ था। इस बैनामे में विक्रेता की पत्नी राजवती और बेटा राज गवाह के रूप में दर्ज हैं।

...आरोप है कि अब वही बेटा राज — जो उस समय गवाह था — कुछ स्थानीय भू-माफियाओं के साथ मिलकर उसी बैनामाशुदा प्लॉट पर जबरन बाउंड्री खड़ी करवा रहा है।

यानी जिसने गवाही दी, अब वही कब्जे की नीयत लेकर जमीन पर चढ़ आया — और कानून को आंखें दिखा रहा है।

रविवार को जब प्लॉट पर निर्माण शुरू हुआ, तो सुभाषचंद्र मौके पर पहुंचे और विरोध जताया। लेकिन जवाब में उन्हें धमकियों से चुप कराने की कोशिश की गई।

पीड़ित द्वारा थाने में तहरीर देने के बाद भी निर्माण कार्य बंद नहीं हुआ।

सवाल ये है — जब रिटायर्ड रजिस्ट्री अफसर को भी अपनी खरीदी संपत्ति के लिए लड़ना पड़े, तो आम नागरिक की बारी कब आएगी?

थाना हरदुआगंज के कार्यवाहक प्रभारी विदेश राठी ने बताया कि मामले की जांच चल रही है और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।

लेकिन स्थानीय लोग कह रहे हैं —

क्या अब रजिस्ट्री सिर्फ नाम की चीज़ रह गई है? जब गवाह ही कब्जेदार बन जाए, तो खरीदार किस पर भरोसा करे?
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