अलीगढ़ : चाची भतीजा फरार प्रकरण : पुलिस के लिए आरोपी ज़्यादा सच्चे, पीड़ित सिर्फ 'फालतू शिकायतबाज़', थाना बोला हमारा मामला नहीं, पर बच्चों का मामला किसका?

अलीगढ़।
जिस चाचा ने अपनों की बेवफाई के बाद पुलिस से इंसाफ़ की उम्मीद की थी, आज वही चाचा अपनी फरियाद लेकर दर-दर भटक रहा है — और जवाब में उसे मिला है ‘शराबी’ का प्रमाणपत्र। जी हां, ये वही मामला है जिसमें चाची अपने भतीजे संग फरार हो गई थी। अब पीड़ित चाचा ने जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत की  तो जांच हरदुआगंज थाने पहुंची, लेकिन वहां मामला और ही रंग ले बैठा।

हरदुआगंज पुलिस ने शिकायत सुनने की जगह चाचा को ही उल्टा कटघरे में खड़ा कर दिया। जवाब में कहा गया — "ये तो शराबी है, झूठा आरोप लगा रहा है।"
इतना ही नहीं, पुलिस ने पूरी सफाई से पल्ला झाड़ते हुए यह कह डाला कि मामला तो महुआ खेड़ा थाने का है।

अब कहानी यहां और दिलचस्प हो जाती है। जब पीड़ित चाचा महुआ खेड़ा थाने पहुंचा, तो वहां के थाना प्रभारी ने कहा — "जांच चल रही है, अगर मामला हरदुआगंज का निकलता है तो हम पत्र भेज देंगे।"

यानी न इंसाफ़ मिला, न कार्यवाही — उल्टा इलाके की गेंद एक थाने से दूसरे थाने की चौखट पर लुढ़कती रही।

पुलिस की प्राथमिकता देखिए — जिस पर आरोप है, उसकी बात को पहले माना गया, पीड़ित को ना सुना गया, उल्टा शराबी बताकर रिपोर्ट का ‘क्लोजर’ घसीट दिया गया। इंसाफ़ मांगना अब शायद सबसे बड़ा गुनाह है, और अपनों की बेवफाई पर आवाज़ उठाना — प्रशासन के लिए "फालतू का ड्रामा।"

इस बीच चाचा को मिल रही हैं धमकियाँ।
कभी फोन पर डराया जा रहा है, तो कभी रास्ते में आरोपी घेर लेते हैं। लेकिन पुलिस के लिए ये सब कोई मुद्दा नहीं है। कहीं से कोई सुरक्षा नहीं, कोई गंभीरता नहीं — शायद पुलिस की नजर में चाचा का अपराध बस यही है कि उसने सच बोलने की हिमाकत कर दी।

👉 सबसे बड़ी चिंता, बच्चे हैं।
चाची सिर्फ खुद ही नहीं गई, पीड़ित के मासूम बच्चों को भी अपने साथ लेकर चली गई। अब बच्चों का कोई अता-पता नहीं। वे कहां रह रहे हैं, कैसे रह रहे हैं,  — चाचा को ये खाए जा रहा है।
उसके अनुसार, बच्चों का भविष्य अधर में है।
लेकिन पुलिस की नजर में ये कोई "तत्कालीन" समस्या नहीं, बल्कि "महुआ खेड़ा बनाम हरदुआगंज" क्षेत्र विवाद ज्यादा जरूरी है।

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