अलीगढ़: सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ मंगलवार को नुमाइश मैदान के भव्य मंच से महिला सुरक्षा और सुशासन के दावे कर रहे थे, लेकिन उसी वक्त हरदुआगंज थाने की चौखट पर एक विधवा की आहें अनसुनी हो रही थीं। गांव कलाई की लक्ष्मी, जो अपने पुरखों का प्लॉट बचाने की जंग लड़ रही है, थाने के दरवाजे पर न्याय की भीख मांगती रही, मगर नवागत थानाप्रभारी ब्रजेश कुमार की "कुर्सी" को शायद उसकी पुकार सुनाई ही नहीं दी।लक्ष्मी की कहानी किसी फिल्मी ड्रामे से कम नहीं। तीन महीने पहले पति के गुजरने के बाद विपक्षियों ने उनके प्लॉट पर जबरन कब्जा शुरू कर दिया। शिकायत लेकर थाने पहुंची लक्ष्मी को हर बार आश्वासनों की "पुड़िया" थमा दी गई, मगर मौके पर जांच? वो तो पुलिस के "एजेंडे" में था ही नहीं! सोमवार रात को तो हद हो गई—विपक्षी लक्ष्मी के घर में घुसे, उसे पीटा, सड़क पर घसीटा, और वह जान बचाने के लिए पड़ोस के मोहल्ले में भागी। शरीर पर गहरे जख्म इस जुल्म की गवाही दे रहे हैं।रात में गांव वालों के साथ थाने पहुंची लक्ष्मी को प्राथमिक उपचार के नाम पर सुबह आने की सलाह देकर टरका दिया गया। सुबह बेटे और दामाद के साथ तहरीर लेकर पहुंची, तो एक "टू-स्टार" दरोगा ने तहरीर लौटाते हुए कहा, "ऐसे रिपोर्ट नहीं लिखी जाती!" बेचारी लक्ष्मी, पुलिस की कोडवर्ड भाषा में उलझकर थाने में कराहती रही। हैरानी की बात? थानाप्रभारी ब्रजेश कुमार थाने में मौजूद थे, मगर विधवा की पुकार उनके कानों तक नहीं पहुंची।20 घंटे बीतने के बाद, जब मीडिया ने इस मामले को उठाया, तो थानाप्रभारी ने घटना से ही इनकार कर दिया। शाम 7 बजे लक्ष्मी की तहरीर और वीडियो समाचार दर्पण लाइव के X (ट्विटर) के जरिए यूपी पुलिस तक पहुंचने पर तहरीर थाम ली लेकिन अभी तक FIR दर्ज होना दूर की कौड़ी है।
जनपद के तीन थानों से हो चुके लाइन हाजिर
इंस्पेक्टर ब्रजेश कुमार का "रिकॉर्ड" भी कम चटकीला नहीं। वह जनपद के तीन थानों में कार्यभार संभाल चुके हैं, हर बार लाइन हाजिर हुए हैं। अब हरदुआगंज में उनकी शुरुआती कार्यशैली ने सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या सुशासन के दावे सिर्फ मंच तक सीमित हैं? या फिर लक्ष्मी जैसी विधवाओं की गुहार थाने की चौखट पर ही दम तोड़ देगी। ये देखना बाकी है???