अलीगढ : वकील साहब फँसे अपने ही बयान में, महासभा ने वकील पर लगाया प्रतिष्ठा धूमिल करने का आरोप

राजश्री चौधरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारत हिन्दू महासभा


अखिल भारत हिंदू महासभा ने अलीगढ़ बार काउंसिल के एक पैनल वकील पर गंभीर आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है। संगठन का कहना है कि वकील ने बिना किसी अधिकृत अनुमति के संगठन के नाम से भ्रामक बयान जारी किया, जिससे संस्था की छवि को नुकसान पहुंचा है।

यह शिकायत बार काउंसिल/बार एसोसिएशन अलीगढ़ के अध्यक्ष को भेजी गई है, जिसमें संबंधित वकील गजेन्द्र पाल सिंह पर “पेशेवर आचरण का दुरुपयोग” करने का आरोप लगाया गया है।

मामला क्या है

हाल ही में अलीगढ़ में हुए शोरूम संचालक अभिषेक गुप्ता हत्याकांड में महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती (पूर्व नाम पूजा शकुन पांडे) का नाम सामने आया था। इस मामले पर एक वकील द्वारा जारी मीडिया नोट में कहा गया कि आरोपी महिला अखिल भारत हिंदू महासभा की नेता हैं और मुन्ना शर्मा संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

महासभा ने इस बयान को पूरी तरह असत्य बताया है। संगठन का कहना है कि मुन्ना शर्मा न तो महासभा के पदाधिकारी हैं और न ही उन्हें किसी भी स्तर पर मान्यता प्राप्त है। शिकायत में कहा गया है कि इस तरह का बयान संगठन को “अपराध से जोड़ने” और उसकी प्रतिष्ठा धूमिल करने के उद्देश्य से दिया गया।

शिकायत में क्या कहा गया

शिकायत में लिखा गया है कि — “एडवोकेट गजेन्द्र सिंह ने बिना किसी अधिकार और सत्यापन के झूठी जानकारी मीडिया में प्रसारित की, जिससे जनता के बीच गलतफहमी फैली। यह आचरण वकील पेशे की गरिमा के विरुद्ध है और कानून की दृष्टि से भी आपत्तिजनक है।”

संगठन ने बार काउंसिल से मांग की है कि इस मामले की जांच कर वकील के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए।

अदालतों के फैसलों का भी हवाला

शिकायत के साथ दिल्ली की दो अदालतों के फैसले संलग्न किए गए हैं, जिनमें कहा गया है कि मुन्ना शर्मा “अखिल भारत हिंदू महासभा” की ओर से प्रतिनिधित्व करने के अधिकारी नहीं हैं।

MCD Appeal No. 05/2005 (Patiala House Court, New Delhi) — अदालत ने कहा कि मुन्ना शर्मा महासभा की ओर से स्वयं का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते।

Appeal No. 747/ATMCD/2014 (Tis Hazari Court, Delhi) — अदालत ने पाया कि मुन्ना शर्मा ने गलत तरीके से खुद को संपत्ति का मालिक और संगठन का प्रतिनिधि बताया है तथा ‘साफ हाथों’ से अदालत में नहीं आए हैं।



संगठन की मांग

महासभा ने कहा है कि ऐसे वकील जो अपनी पेशेवर हैसियत का इस्तेमाल कर संस्थाओं के नाम पर भ्रम फैलाते हैं, उनके खिलाफ उदाहरण प्रस्तुत करने वाली सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

“हमारे संगठन की प्रतिष्ठा और हजारों कार्यकर्ताओं की मेहनत पर इस झूठे बयान का असर पड़ा है। इसलिए यह आवश्यक है कि बार काउंसिल इस मामले को गंभीरता से लेकर कार्रवाई करे।” — शिकायत पत्र में लिखा गया है।

अब निगाहें बार काउंसिल पर

शिकायत के बाद अब निगाहें अलीगढ़ बार काउंसिल की ओर हैं। संस्था को तय करना है कि पेशेवर आचरण का यह कथित उल्लंघन कितनी गंभीरता से लिया जाएगा।

वहीं, कानूनी हलकों में यह मामला चर्चा का विषय बन गया है कि “क्या किसी वकील को बिना अधिकृत पुष्टि के किसी संगठन की ओर से बयान देने का अधिकार है?”

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