हरदुआगंज | संवाददाता निखिल शर्मा
क्या सरकारी गेहूं अब मंडियों से ऐसे ही गायब होता रहेगा? और क्या पुलिस सिर्फ पूछताछ कर छोड़ने का अड्डा बनकर रह जाएगी?
हरदुआगंज की अनाज मंडी में पीसीएफ (उत्तर प्रदेश को-ऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड) के सरकारी क्रय केंद्र से 25 बोरी गेहूं चोरी का मामला अब एक मज़ाक बनकर रह गया है।
12 अप्रैल की रात सरकारी गेहूं चोरी होने का मामला जब टेंपो चालक की जुबान से खुला, तो आरोपों की सीधी सुई केंद्र प्रभारी मुन्नालाल की ओर गई। अलीगढ़ के सारसौल स्थित साईंधाम कॉलोनी में गेहूं उतारने का खुलासा हुआ — मगर पुलिस आज तक उस घर तक 'पहुंच नहीं सकी'।
हैरानी की बात यह है कि मुन्नालाल को गुरुवार को हिरासत में लेकर फिर से थाने से छोड़ दिया गया। क्यों? पुलिस के पास कोई जवाब नहीं। पूछताछ कर नोटिस थमाया और चलते बने।
सीसीटीवी 'खराब', बयान 'घुमावदार', पुलिस 'बेबस'
जब चोरी हुई, तब मंडी के कैमरे बंद थे — यह पुलिस का पहला बहाना था। फिर 2 जून को मंडी में जब एक आढ़ती के यहां चोरी की चर्चा गर्म हुई, तो विवाद के बीच केंटीन संचालक रामबाबू यादव के बेटे महेश ने खुद सामने आकर बताया कि उसी के टेंपो से 20 बोरी गेहूं अलीगढ़ भेजी गई थी।
पुलिस ने टेंपो खड़ा कर तो लिया, लेकिन जिस ठिकाने पर गेहूं पहुंचा, वह अब तक पुलिस की पहुंच से बाहर है। क्या पुलिस पहुंचना नहीं चाहती या पहुंचने नहीं दिया जा रहा?
मंडी में चर्चा गरम, पर कार्रवाई ठंडी
मंडी में खुलकर चर्चा है कि मुन्नालाल और टेंपो मालिक दोनों मिले हुए थे, और अब 'सुलह' के बाद टेंपो चालक पुलिस को जानबूझकर भटका रहा है। सवाल उठता है कि जब सारे तथ्य सामने हैं, आरोपी खुलासे में हैं, तो गिरफ्तारी और कार्रवाई में देरी क्यों?
क्या यह मामला भी बाकी सरकारी घोटालों की तरह फाइलों में दब जाएगा, या फिर प्रशासन कोई सख्त कदम उठाएगा?
अब देखना है कि हरदुआगंज पुलिस अपने ऊपर लगे सवालों का जवाब दे पाती है या नहीं।
क्या सरकारी गेहूं अब मंडियों से ऐसे ही गायब होता रहेगा? और क्या पुलिस सिर्फ पूछताछ कर छोड़ने का अड्डा बनकर रह जाएगी?
हरदुआगंज की अनाज मंडी में पीसीएफ (उत्तर प्रदेश को-ऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड) के सरकारी क्रय केंद्र से 25 बोरी गेहूं चोरी का मामला अब एक मज़ाक बनकर रह गया है।
12 अप्रैल की रात सरकारी गेहूं चोरी होने का मामला जब टेंपो चालक की जुबान से खुला, तो आरोपों की सीधी सुई केंद्र प्रभारी मुन्नालाल की ओर गई। अलीगढ़ के सारसौल स्थित साईंधाम कॉलोनी में गेहूं उतारने का खुलासा हुआ — मगर पुलिस आज तक उस घर तक 'पहुंच नहीं सकी'।
हैरानी की बात यह है कि मुन्नालाल को गुरुवार को हिरासत में लेकर फिर से थाने से छोड़ दिया गया। क्यों? पुलिस के पास कोई जवाब नहीं। पूछताछ कर नोटिस थमाया और चलते बने।
सीसीटीवी 'खराब', बयान 'घुमावदार', पुलिस 'बेबस'
जब चोरी हुई, तब मंडी के कैमरे बंद थे — यह पुलिस का पहला बहाना था। फिर 2 जून को मंडी में जब एक आढ़ती के यहां चोरी की चर्चा गर्म हुई, तो विवाद के बीच केंटीन संचालक रामबाबू यादव के बेटे महेश ने खुद सामने आकर बताया कि उसी के टेंपो से 20 बोरी गेहूं अलीगढ़ भेजी गई थी।
पुलिस ने टेंपो खड़ा कर तो लिया, लेकिन जिस ठिकाने पर गेहूं पहुंचा, वह अब तक पुलिस की पहुंच से बाहर है। क्या पुलिस पहुंचना नहीं चाहती या पहुंचने नहीं दिया जा रहा?
मंडी में चर्चा गरम, पर कार्रवाई ठंडी
मंडी में खुलकर चर्चा है कि मुन्नालाल और टेंपो मालिक दोनों मिले हुए थे, और अब 'सुलह' के बाद टेंपो चालक पुलिस को जानबूझकर भटका रहा है। सवाल उठता है कि जब सारे तथ्य सामने हैं, आरोपी खुलासे में हैं, तो गिरफ्तारी और कार्रवाई में देरी क्यों?
क्या यह मामला भी बाकी सरकारी घोटालों की तरह फाइलों में दब जाएगा, या फिर प्रशासन कोई सख्त कदम उठाएगा?
अब देखना है कि हरदुआगंज पुलिस अपने ऊपर लगे सवालों का जवाब दे पाती है या नहीं।