अलीगढ़। जहाँ कानून की किताब कहती है कि सबूत मिलते ही कार्रवाई होनी चाहिए, वहीं अलीगढ़ पुलिस ने कानून को सीधा कूड़ेदान में फेंक दिया है। लाखों की चोरी का मामला, आरोपी का चोरी कबूलता हुआ वीडियो सबूत, तहरीर थाने में… सब कुछ मौजूद है। फिर भी थाना प्रभारी ने ठान लिया है कि “FIR नहीं लिखनी।”
पीड़ित व्यापारी की मानें तो उसकी दुकान से लाखों रुपया गायब हुआ। आरोपी ने खुद कैमरे के सामने चोरी स्वीकार की, वीडियो भी मौजूद है। मगर थाने में शिकायत देने के बावजूद केस दर्ज न हुआ। हफ्तों से इंसाफ की आस में दर-दर भटकते व्यापारी ने सोशल मीडिया का सहारा लिया
ट्वीट क्या हुआ, थाना प्रभारी की नींद उड़ गई। बौखलाहट में साहब का बयान आया– 👉 “मुकदमा दर्ज नहीं होगा।”
अब यह बयान नहीं, बल्कि अलीगढ़ पुलिस की कार्यप्रणाली पर सबसे बड़ा धब्बा है।
अलीगढ : पीड़ित के पास चोरी कबूलते हुए आरोपी का VIDEO सबूत मौजूद, तहरीर थाने में दी जा चुकी… लेकिन आज तक FIR दर्ज नहीं!
— समाचार दर्पण लाइव ✵ (@Desk_SDLIVE) September 7, 2025
क्या @aligarhpolice खुलेआम चोरों को संरक्षण दे रही है? थाना महुआखेड़ा क्षेत्र का मामला #UPPolice@Uppolice pic.twitter.com/aBxb3h5hR6
सवाल उठता है–
- आखिर किसके इशारे पर पुलिस आरोपी की ढाल बनी बैठी है?
- जब चोरी का वीडियो भी FIR दर्ज नहीं करवा सकता, तो आम जनता के लिए इंसाफ का रास्ता बचा ही कहाँ है?
- क्या अलीगढ़ के थाने अब चोरों की चौकी बन चुके हैं?
यह मामला सिर्फ एक व्यापारी का नहीं है, बल्कि पूरे सिस्टम की नाकामी है। पुलिस की यह हठधर्मिता साफ दिखाती है कि यहाँ कानून नहीं, थाना प्रभारी की मनमानी चलती है।
अगर ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई न हुई तो अलीगढ़ पुलिस की छवि पर यह दाग हमेशा के लिए चिपक जाएगा कि – “थाना प्रभारी चाहे तो चोर राजा, और पीड़ित भिखारी।”